आखिर महापुरुषो को इतिहास के पन्नों पर क्यों स्थान दिया जाता है ।
हमारे भारत देश हिंदुस्तान का इतिहास अध्यात्मिकता और धार्मिक ग्रंथों से सभी भारतवासी जुड़े हुए हैं ।
सृष्टि के संचालन कर्ता परमपिता परमेश्वर द्वारा मानव जीवन संसार के सभी प्राणियों में सबसे श्रेष्ठ योनि और जीवन बताया गया है । मानव योनि मानव जीवन संसार की सभी दैहिक दैविक भौतिक भौतिक वस्तुओं का संचालक और नियंत्रण करता माना जाता है। मानव के अंदर भूतकाल वर्तमान और भविष्य काल की शक्तियां होने के कारण वह अपने गौरवशाली सम्मान साल इतिहास को पढ़ता रहा है और मौखिक याद रखने की शक्ति रखता है। जब लिखने की शक्तियां प्राप्त थी तो लिख कर भी उसने अपने भारत के इतिहास को लिखा है भारत विश्व गुरु रहा और इसका इतिहास लाखो वर्ष से भी अधिक करोड़ों वर्षों का इतिहास रहा होगा उस समय भी शिक्षा के साथ-साथ विद्या संस्कृति संस्कार अंक गणित ज्योतिष सारी शक्तियां रही हैं । भारत विश्व गुरु होने के कारण इसको तीन लोगों में बांटा गया है । सतयुग त्रेता द्वापर वर्तमान में कलयुग की शुरुआत बताई गई है ।
अनादि अनंत निराकार और साकार परमपिता जो सृष्टि को संचालित करता है, वह ना तो दिखता है, ना उसका कोई शरीर है, ना उसकी कोई रूह दिखाई देती है । और करोड़ों करोड़ों बरसों से सभी काम नियम परिस्थितियों और समय से होते रहे हैं आज तक सारा सिस्टम प्रकृति का स्थापक चल रहा है। संसार में अनेक आविष्कार हो रहे हैं। और भविष्य में इससे भी ज्यादा होंगे लेकिन वह परमपिता परमात्मा की महिमा सृष्टि संचालन करने का तरीका जीवन और मृत्यु के बारे में सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है। जिस दिन वैज्ञानिकों खोज करने वाले आत्मा को पकड़ लेंगे उस दिन प्रकृति को लोग भूल जाएंगे क्योंकि अदृश्य शक्ति जो संसार को चला रही है उसी का नाम परमात्मा है और उसी के बहुत से स्वरूप रूप है। मैं अपने मन और बुद्धि के अनुसार बस इतना ही कह सकता हूं कि जिन्होंने हमेशा मानवता जीवो पर दया सत्य और अहिंसा का रास्ता अपनाया है वह हमेशा परमात्मा के नजदीक रहे बारंबार उन्हें मानव रूप में देव रूप में और महापुरुषों के रूप में जीवन जीना आया है इसलिए हम सबको मानवता के साथ परमपिता परमेश्वर को जो विभिन्न रूपों में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है रास्ते अनेक थे परमात्मा ईश्वर एक है। उसके प्रगट होने और उसके रहस्यमय तरीके से सृष्टि का संचालन करना संतुलन बनाए रखना उसी के हाथ में है । हम सभी भारत को विश्व गुरु बनाने में सहयोग करें । ईश्वर के अंश के रूप में जो पुरुष पैदा होते हैं और अपने सत्कर्म अच्छे कर्मों सद मार्ग पर चलने सत्य और ईमान से चलकर मानवता के साथ काम करते हैं वही महापुरुष बनते हैं परोपकार जीवन जीते हैं राष्ट्र देश के लिए काम करते हैं वही महापुरुष हैं उन्हीं को इतिहास पर स्थान मिलता है, बुद्धिमान ज्ञानवान प्रजा पालक शासक राजा महाराजा राजनेता सबको एक परिवार के सदस्य के रूप में देखता है। राक्षस पापी दुराचारी अपराधी निजी स्वार्थों में लिप्त रहते हैं इसलिए वह दंड के भागीदार और अनेक योनियों में गुजरने के बाद समाज में अपमानित होते रहते हैं।