Sahara India Scam: 2000 रुपये से शुरू हुई कंपनी, अरबों का साम्राज्य और फिर पतन

शुरुआत और सफलता की कहानी
1978 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से सिर्फ ₹2000 की पूंजी के साथ शुरू हुई सहारा इंडिया परिवार, कुछ ही दशकों में देश की सबसे बड़ी प्राइवेट कंपनियों में से एक बन गई। सुब्रत राय ने इसकी नींव एक साधारण बचत योजना से रखी, जिसमें छोटे दुकानदारों, मजदूरों और गरीब तबके के लोगों को हर दिन ₹1 की बचत करने के लिए प्रेरित किया गया। सहारा ने उन्हें भरोसा दिलाया कि उनकी जमा की गई राशि पर अच्छा ब्याज मिलेगा। इस बिजनेस मॉडल को काफी सफलता मिली, और धीरे-धीरे लाखों लोग इससे जुड़ते चले गए।

कंपनी का विस्तार केवल वित्तीय सेवाओं तक ही सीमित नहीं रहा। सहारा ने रियल एस्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर, हेल्थकेयर, मीडिया, एंटरटेनमेंट, हॉस्पिटैलिटी, आईटी और कई अन्य सेक्टर्स में अपने कदम बढ़ाए।

  • सहारा ने न्यूयॉर्क में Plaza Hotel और Dream New York जैसे लग्जरी होटल खरीदे।
  • मुंबई, लखनऊ और अन्य शहरों में हजारों एकड़ जमीन का मालिकाना हक रखा।
  • एक समय पर इंडियन रेलवे के बाद देश की सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देने वाली कंपनी बन गई।
  • आईपीएल टीम Pune Warriors की मालिक बनी और इंडियन क्रिकेट और हॉकी टीम को प्रायोजित किया।
  • Sahara City जैसी टाउनशिप विकसित की, जिसमें अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद थीं।

पहली बार शक के घेरे में


1996 में सहारा ग्रुप पर पहली बार इनकम टैक्स विभाग की नजर पड़ी। विभाग ने कंपनी में आने वाले धन के स्रोतों की जांच शुरू की। जब इनकम टैक्स अधिकारियों ने सुब्रत राय से कंपनी की फंडिंग के बारे में पूछताछ की, तो उन्होंने कुछ बड़े राजनेताओं के नाम लिए। इससे घबराकर नेताओं ने अधिकारी का तबादला करवा दिया, और मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

हालांकि, आगे चलकर सहारा की ग्रोथ धीमी पड़ने लगी, क्योंकि नए इन्वेस्टर्स जुड़ने बंद हो गए और पुराने निवेशकों ने अपनी जमा पूंजी निकालनी शुरू कर दी।

सेबी का दखल और घोटाले की शुरुआत

Business Course Selling SCAM

2009 में सहारा ने अपने बिजनेस को और बड़ा करने के लिए आईपीओ (Initial Public Offering) लाने का फैसला किया और इसके लिए सेबी (Securities and Exchange Board of India) के पास आवेदन किया। जब सेबी ने सहारा ग्रुप की दो कंपनियों—Sahara India Real Estate Corporation Ltd. और Sahara Housing Investment Corporation Ltd.—के वित्तीय रिकॉर्ड की जांच की, तो उसे गड़बड़ी का शक हुआ।

2009-10 में सेबी को दो शिकायतें मिलीं, जिनमें आरोप लगाया गया था कि सहारा गलत तरीके से लोगों से पैसे जुटा रही है। सेबी ने अपनी जांच में पाया कि सहारा ने Optional Convertible Debentures (OCDs) जारी कर करीब 24,000 करोड़ रुपये जुटाए थे, लेकिन इस प्रक्रिया में आवश्यक अनुमतियां नहीं ली थीं।

घोटाले का खुलासा और कानूनी कार्यवाही


सेबी ने पाया कि:

  • सहारा ने करोड़ों निवेशकों से पैसे जुटाए, लेकिन इसकी जानकारी किसी नियामक संस्था को नहीं दी।
  • निवेशकों का रिकॉर्ड स्पष्ट नहीं था, जिससे यह साबित नहीं किया जा सका कि ये असली निवेशक हैं या सिर्फ कागजों पर नाम दर्ज किए गए हैं।

2012 में सुप्रीम कोर्ट ने सहारा को आदेश दिया कि वह 3 महीनों के भीतर 15% ब्याज के साथ निवेशकों को पैसे लौटाए। साथ ही, सहारा को सभी निवेशकों की जानकारी सेबी को सौंपने को कहा गया। सहारा ग्रुप 127 ट्रकों में इन्वेस्टर्स की डिटेल सेबी के दफ्तर ले गया, लेकिन जांच में पाया गया कि इन दस्तावेजों में भारी खामियां थीं।

सुब्रत राय की गिरफ्तारी और मामला अधर में


जब सहारा ग्रुप तय समय पर निवेशकों का पैसा लौटाने में नाकाम रहा, तो सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में सुब्रत राय को गिरफ्तार करने का आदेश दिया। उन्हें जेल भेज दिया गया, लेकिन 2016 में उनकी मां के निधन के कारण जमानत पर रिहा कर दिया गया।

इस बीच, सहारा ग्रुप ने सेबी के पास ₹22,000 करोड़ जमा कराने का दावा किया, लेकिन सेबी ने कहा कि उसके पास इस पैसे से जुड़े कोई स्पष्ट रिकॉर्ड नहीं हैं।

घोटाले का असर और मौजूदा स्थिति


आज की स्थिति यह है कि:

  • सेबी अब तक सहारा निवेशकों को सिर्फ ₹138 करोड़ ही लौटा पाया है
  • निवेशकों का डेटा अधूरा होने की वजह से पैसा लौटाने की प्रक्रिया बाधित हो रही है।
  • सरकार और नियामक एजेंसियां अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकाल पाई हैं।

निष्कर्ष

सहारा घोटाला देश के सबसे बड़े वित्तीय घोटालों में से एक बन चुका है, जिसमें 13 करोड़ से अधिक निवेशकों का पैसा फंसा हुआ है। एक समय भारत के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में गिने जाने वाले सुब्रत राय, अब एक विवादास्पद व्यक्ति बन चुके हैं। इस घोटाले ने यह दिखाया कि कैसे एक बड़ा बिजनेस मॉडल जब बिना पारदर्शिता के चलता है, तो वह एक दिन धराशायी हो सकता है।

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या सरकार निवेशकों के पैसे वापस दिला पाती है या यह मामला हमेशा के लिए अधर में लटक जाएगा।

आप इस पूरे घोटाले के बारे में क्या सोचते हैं? अपनी राय जरूर साझा करें!

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