भारत को अक्सर एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में देखा जाता है, लेकिन घोटालों और साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाओं ने देश की प्रगति में एक गंभीर बाधा उत्पन्न कर दी है। घोटालेबाजों ने डिजिटल युग में नए-नए तरीकों से लोगों को ठगने का एक संगठित नेटवर्क तैयार कर लिया है। नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल मात्र 5 महीनों में 9.5 लाख साइबर धोखाधड़ी से जुड़ी शिकायतें दर्ज की गईं, यानी हर 14 सेकंड में एक घोटाले की रिपोर्ट की गई।
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घोटालों का नया रूप: डिजिटल गिरफ्तारी
आजकल एक नया घोटाला तेजी से फैल रहा है—डिजिटल गिरफ्तारी घोटाला (Digital arrest SCAMS)। इस स्कैम में अपराधी खुद को सरकारी अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं और उनसे मोटी रकम ऐंठने की कोशिश करते हैं।
कैसे काम करता है यह घोटाला?
- फोन कॉल या मैसेज
- घोटालेबाज खुद को कस्टम विभाग, पुलिस, सीबीआई या प्रवर्तन निदेशालय (ED) का अधिकारी बताकर कॉल करते हैं।
- कहा जाता है कि आपके नाम पर कोई अवैध गतिविधि पाई गई है, जैसे ड्रग्स तस्करी, संदिग्ध बैंक ट्रांजेक्शन, या फर्जी सिम कार्ड रजिस्ट्रेशन।
- कई बार आपको धमकी दी जाती है कि आपका फोन नंबर जल्द ही बंद कर दिया जाएगा।
- डराने की रणनीति
- कॉल के दौरान यदि आप किसी भी संदेह में होते हैं, तो वे आपको एक सीनियर स्कैमर से जोड़ते हैं।
- वे आपको बताते हैं कि आपको तुरंत किसी अन्य शहर के पुलिस स्टेशन रिपोर्ट करना होगा या फिर पुलिस आपके घर आकर आपको गिरफ्तार करेगी।
- कई मामलों में लोगों को वीडियो कॉल पर “डिजिटल गिरफ्तारी” दिखाकर डराया जाता है।
- मनगढ़ंत वीडियो कॉल
- एक नकली पुलिस स्टेशन का सेटअप दिखाया जाता है, जहां बैकग्राउंड में गांधी जी की तस्वीर और नकली पुलिसकर्मी होते हैं।
- स्कैमर वर्दी पहनकर खुद को असली पुलिस अधिकारी बताता है और आपको विश्वास दिलाने की कोशिश करता है कि आप कानूनी मुसीबत में हैं।
- बैंक अकाउंट से धोखाधड़ी
- यह दिखाने के लिए कि आप निर्दोष हैं, आपसे आपका बैंक अकाउंट दिखाने को कहा जाता है।
- कई बार यह भी कहा जाता है कि आपको अपना पैसा एक “सुरक्षित सरकारी खाते” में ट्रांसफर करना होगा, जो असल में स्कैमर्स का खाता होता है।
- परिवार से संपर्क न करने का दबाव
- अगर आप अपने परिवार या दोस्तों से बात करने की कोशिश करते हैं, तो स्कैमर आपको धमकाते हैं कि इससे आपकी “जांच” में बाधा आएगी।
- कई लोग डर की वजह से पैसे ट्रांसफर कर देते हैं, जो बाद में वापस नहीं मिल पाता।
स्कैम से कैसे बचें?
- कानूनी प्रक्रिया को समझें
- भारत में “डिजिटल गिरफ्तारी” जैसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं है।
- पुलिस कभी भी फोन या वीडियो कॉल के माध्यम से गिरफ्तारी नहीं करती।
- अगर आप किसी अपराध में संलिप्त हैं, तो पुलिस सीधे आपके घर आएगी, न कि आपको पहले कॉल करेगी।
- अनजान कॉल्स पर विश्वास न करें
- अगर कोई सरकारी एजेंसी होने का दावा करे, तो उनकी बातों को बिना जांचे-परखे न मानें।
- किसी भी वित्तीय जानकारी को साझा न करें और तुरंत कॉल काट दें।
- बैंकिंग जानकारी गुप्त रखें
- कोई भी बैंक या सरकारी संस्था कभी भी फोन पर बैंक डिटेल्स नहीं मांगती।
- यदि कोई आपसे बैंकिंग ऐप में लॉगिन करने या किसी लिंक पर क्लिक करने को कहे, तो ऐसा न करें।
- किसी भी संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट करें
- साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें।
- राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) पर जाकर शिकायत दर्ज करें।
निष्कर्ष
भारत में घोटालों की बढ़ती संख्या केवल आर्थिक नुकसान का कारण नहीं बन रही, बल्कि यह आम नागरिकों के विश्वास और सुरक्षा को भी खतरे में डाल रही है। जागरूकता ही इन घोटालों से बचने का सबसे अच्छा तरीका है। अगर आप सतर्क रहेंगे, तो न केवल आप खुद को बल्कि अपने परिवार और दोस्तों को भी इन साइबर अपराधियों के जाल में फंसने से बचा सकते हैं।