Vegetarian Food in VARANASI

VARANASI: भारत का आध्यात्मिक हृदय और स्वादिष्ट भोजन यात्रा

नमस्कार दोस्तों, आज मैं पहुँच चुका हूँ दुनिया के सबसे पुराने जीवित शहर, VARANASI में। इस शहर की आध्यात्मिक ऊर्जा और प्राचीन संस्कृति ने मुझे पूरी तरह से आकर्षित कर लिया है। यहां का हर कोना एक कहानी कहता है, और आज मैं यहां के स्वादिष्ट शाकाहारी स्ट्रीट फूड और गंगा नदी के किनारे की रात्री पूजा का अनुभव लेने के लिए बहुत ही उत्साहित हूँ। तो चलिए, शुरू करते हैं वाराणसी का सफर!

Vegetarian Food in VARANASI
खानपान की यात्रा की शुरुआत: पूड़ी और सब्जी

हमारी पहली मील के लिए, हम एक लोकल स्टॉल पर पहुँचे, जहाँ हमें मिले कुछ ताजे तले हुए पूड़ी और सब्जी। इसमें मिली मिली हुई सब्जियाँ, पनीर, चने और आलू की ग्रेवी। यह स्वाद इतना बढ़िया था कि हमें सोचना भी नहीं पड़ा। इसके साथ ही, हमें एक स्वादिष्ट जलेबी भी दी गई, जो शरबत और केसर से सजी हुई थी। एक बाइट में, यह जलेबी मुंह में जैसे फट कर मिठास का धमाका कर देती है।

96 साल पुरानी दुकान और लस्सी का मज़ा

इसके बाद, हम पहुँचे एक पुराने लस्सी के शॉप पर, जो 96 साल पुरानी थी। यहां हमें मिले रंग-बिरंगे फल लस्सी के कई प्रकार—सेब, केले, अनार, और चॉकलेट। इन लस्सी में जो स्वाद था, वह बिल्कुल ताजगी से भरपूर था। विशेष रूप से ड्राइड फ्रूट वाली लस्सी ने तो दिल जीत लिया, जिसमें पिस्ता, बादाम, काजू, और केसर की महक थी। स्वाद इतना खास था कि इसे शब्दों में नहीं समेटा जा सकता।

विशेष हिन्दू संस्कार और जल समाधि

हमारी यात्रा के दौरान, हम एक विशेष हिन्दू संस्कार से भी रूबरू हुए। यहां गंगा नदी के किनारे मृतकों के शवों का अंतिम संस्कार होता है, जो आत्मा को जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति दिलाने में मदद करता है। यह एक बहुत ही गहरे और भावनात्मक अनुभव के रूप में हमारे साथ रहा।

दिल्ली का लाजपत नगर: स्ट्रीट फूड का स्वर्ग

भोजन की एक और अनूठी शैली: 90 साल पुरानी दुकान और माला पूड़ी

VARANASI की गलियों में चलते हुए, हमें मिले कुछ और अद्भुत पकवान, जिनमें से एक था मलाइ पुरी और कालकंद, दोनों ही दूध और घी से तैयार किए गए थे। कालकंद में चीनी, सत्तू, और सेमोलिना का स्वाद मिला, जबकि मलाइ पुरी में दूध से बनी एक ताजगी भरी मिठास थी। यह पकवान जितने स्वादिष्ट थे, उतने ही ऐतिहासिक भी थे, क्योंकि ये 90 साल पुरानी दुकान में बन रहे थे।

गाँव का ताजा खाना: गाय के गोबर से बनी हुई भोजन विधि

हम एक पारंपरिक गाँव-शैली रेस्टोरेंट में भी गए, जहां भोजन गाय के गोबर से बने तंदूर में पकाया जाता था। यहां बना सत्तू बाती और पनीर बाती, दाल के साथ एक स्वादिष्ट थाली का हिस्सा बने। दाल में मसाले और ताजगी का जबरदस्त मिश्रण था, और बाती के अंदर छुपे स्वाद ने तो इसे और भी अद्भुत बना दिया।

बनारस की टमाटर चाट: अनोखा और लाजवाब

बनारस की टमाटर चाट का स्वाद किसी और स्थान पर नहीं मिल सकता। यह एक अद्वितीय व्यंजन है जो यहाँ के स्थानीय स्वादों का बेहतरीन मिश्रण प्रस्तुत करता है। इस चाट में टमाटर के साथ खट्टा, मीठा और तीखा मसाले का संतुलन है। इसमें नींबू, धनिया और कई अन्य मसाले होते हैं, जो इसे और भी स्वादिष्ट बनाते हैं। साथ ही, इसमें हिंग और नमकपारे का कुरकुरापन इस चाट को और भी खास बनाता है। यह व्यंजन साल में केवल 9 महीने के लिए उपलब्ध होता है और इसे शुद्ध घी में तैयार किया जाता है, जो इसके स्वाद को और बढ़ा देता है।

दही पुरी और चूड़ा मटर: बनारस की स्वाद यात्रा

बनारस में दही पुरी और चूड़ा मटर जैसी चाट का स्वाद भी लाजवाब है। दही पुरी में छोले और अन्य मसाले होते हैं, जो इसे ताजगी और स्वाद का बेहतरीन मिश्रण बनाते हैं। चूड़ा मटर, जो केवल 9 महीने के लिए उपलब्ध होता है, इस क्षेत्र की एक प्रसिद्ध चाट है। यह चाट बनारस के काशी चाट भंडार में विशेष रूप से मिलती है, और इसका स्वाद आपको कहीं और नहीं मिलेगा। हर चाट का स्वाद इतना अनोखा और तीव्र होता है कि वह आपके स्वाद के सारे इंद्रिय को जागृत कर देता है।

ठंडाई और भांग: बनारस की खासियत

बनारस की ठंडाई भी अपनी खासियत के लिए प्रसिद्ध है। यह ठंडाई बाबा विश्वनाथ के मंदिर के कारण प्रसिद्ध है, क्योंकि कहा जाता है कि बाबा ने ठंडाई और भांग पी थी। यह ठंडाई बादाम, पिस्ता, केसर, इलायची और दूध का मिश्रण होती है, जो बेहद स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है। ठंडाई का स्वाद खासतौर पर केसर और इलायची के संयोजन से मिलता है, जो इसे एक अनूठा स्वाद देता है। इसके साथ भांग का प्रभाव भी होता है, जो धीरे-धीरे असर करता है और इसका असर कुछ घंटों बाद महसूस होता है।

रसवंती मिठाई और मलाई गिलोरी: मिठास में बसा इतिहास

बनारस में मिठाइयों का भी एक अलग ही स्थान है। यहाँ की रसवंती मिठाई और मलाई गिलोरी का स्वाद बिल्कुल अद्वितीय है। मलाई गिलोरी, जिसे कभी “मलाई पान” भी कहा जाता है, बेहद मीठा और मखमली होता है, जबकि रसवंती की मिठाइयाँ एक खास स्वाद और खुशबू से भरी होती हैं। यहाँ की रबड़ी और खुरचन (दूध के अवशेष) भी विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। ये मिठाइयाँ दूध और केसर की प्राकृतिक मिठास से तैयार की जाती हैं, जो आपको एक हल्की मिठास का अनुभव देती हैं।

ठंडाई का प्रभाव: एक ऐतिहासिक अनुभव

बनारस में ठंडाई के साथ भांग का विशेष स्वाद भी होता है, जो एक ऐतिहासिक परंपरा से जुड़ा हुआ है। भांग का असर तुरंत नहीं होता, बल्कि 3-4 घंटे बाद धीरे-धीरे असर करता है। भांग का प्रभाव धीरे-धीरे जोरदार होता है और अगर आप इसके बारे में नहीं सोचते, तो इसका असर काफी सहज महसूस होता है। ऐसा कहा जाता है कि भांग का असर 36 घंटे तक रह सकता है, और यह विशेष अवसरों पर ही लिया जाता है।

अद्भुत अनुभव: बनारस का स्वाद, संस्कृति और इतिहास

जैसे ही हमारी यात्रा खत्म हो रही थी, ये यादें हमारे साथ हमेशा रहेंगी। वाराणसी का हर पल, उसकी रंगीन गलियाँ, खाने का अनोखा स्वाद, और यहाँ की अद्भुत संस्कृति हमारे दिलों में हमेशा के लिए बस जाएगी। इस शहर ने हमें न केवल स्वाद बल्कि जीवन के गहरे अनुभव भी दिए। उम्मीद है कि आप भी कभी इस अद्भुत शहर की यात्रा करें और यहाँ के स्वादिष्ट भोजन और सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव लें।

बनारस की ये सभी विशेषताएँ और स्वाद आपको किसी और जगह पर नहीं मिलेंगे। यहां का खाना सिर्फ पेट की भूख को शांत नहीं करता, बल्कि यह बनारस की संस्कृति, परंपरा और इतिहास को भी महसूस कराता है। बनारस के स्वाद में जो गहराई और ताजगी है, वह कहीं और नहीं मिलेगी। इस शहर में हर पकवान के साथ एक कहानी जुड़ी होती है, जो आपको उसकी संस्कृति से रूबरू कराती है।

अंत में, बनारस का यह अद्भुत स्वाद यात्रा न केवल आपकी स्वाद इंद्रियों को संतुष्ट करता है, बल्कि यह आपके जीवन में एक यादगार अनुभव भी जोड़ता है। तो अगर आप कभी बनारस जाएं, तो इन अनूठे स्वादों का अनुभव करना न भूलें!

धन्यवाद!

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